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प्रथम कोटि की अभिक्रिया की अर्ध आयु किस पर निर्भर नहीं करती है?
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयु का मान [R]0 पर निर्भर नहीं करता है।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयु का मान [R]0 पर निर्भर नहीं करता है।
See lessविद्युत धारिता का SI मात्रक एवं विमीय सूत्र लिखिए?
आवेश का SI मात्रक कूलाम तथा विद्युत विभव का SI मात्रक वोल्ट होता है। तब इस प्रकार विद्युत धारिता का SI मात्रक कूलाम/वोल्ट होगा। इसे फैरड भी कहते हैं। अतः 1 कूलाम/वोल्ट = 1 वोल्ट
आवेश का SI मात्रक कूलाम तथा विद्युत विभव का SI मात्रक वोल्ट होता है। तब इस प्रकार विद्युत धारिता का SI मात्रक कूलाम/वोल्ट होगा। इसे फैरड भी कहते हैं। अतः
See less1 कूलाम/वोल्ट = 1 वोल्ट
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र क्या है?
C = Aɛ0K/d वायु संधारित्र के लिए C0 = Aɛ0/d इन दोनों समीकरण की तुलना करने पर C/C0 = K अतः स्पष्ट है कि प्लेटो के बीच निर्वात् के स्थान पर परावैद्युत माध्यम होने पर संधारित्र की धारिता K गुना बढ़ जाती है।
C = Aɛ0K/d
See lessवायु संधारित्र के लिए
C0 = Aɛ0/d
इन दोनों समीकरण की तुलना करने पर
C/C0 = K
अतः स्पष्ट है कि प्लेटो के बीच निर्वात् के स्थान पर परावैद्युत माध्यम होने पर संधारित्र की धारिता K गुना बढ़ जाती है।
विलगित गोलीय चालक की धारिता का सूत्र क्या है?
C = 4πɛ0KR फैरड जहां R = चालक की त्रिज्या, K = माध्यम का परावैद्युतांक, C = किसी माध्यम में गोलीय चालक की विद्युत धारिता है।
C = 4πɛ0KR फैरड
See lessजहां R = चालक की त्रिज्या,
K = माध्यम का परावैद्युतांक,
C = किसी माध्यम में गोलीय चालक की विद्युत धारिता है।
संधारित्र का संयोजन कितने प्रकार के होते हैं?
संधारित्र का संयोजन दो प्रकार से होता है। 1. संधारित्र का श्रेणी क्रम संयोजन 2. संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन
संधारित्र का संयोजन दो प्रकार से होता है।
See less1. संधारित्र का श्रेणी क्रम संयोजन
2. संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन
संधारित्र को श्रेणी क्रम में कब जोड़ा जाता है?
जब दो या दो से अधिक संधारित्र को इस प्रकार से संयोजित किया जाता है कि एक संधारित का दूसरा सिरा दूसरे संधारित्र के पहले सिरे से तथा दूसरे संधारित्र का दूसरा सिरा तीसरे संधारित्र के पहले सिरे पर संयोजित होता हैं। तब संधारित्र के इस संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं। श्रेणी क्रम संयोजन में जुड़े सभRead more
जब दो या दो से अधिक संधारित्र को इस प्रकार से संयोजित किया जाता है कि एक संधारित का दूसरा सिरा दूसरे संधारित्र के पहले सिरे से तथा दूसरे संधारित्र का दूसरा सिरा तीसरे संधारित्र के पहले सिरे पर संयोजित होता हैं। तब संधारित्र के इस संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं। श्रेणी क्रम संयोजन में जुड़े सभी संधारित्र पर आवेश समान होता है।
See lessसंधारित्र का समांतर क्रम में कब जोड़ा जाता है?
जब दो या दो से अधिक संधारित्र को इस प्रकार से संयोजित किया जाता है कि उन सभी संधारित्र के एक सिरे बिंदु पर तथा दूसरे सिरे दूसरे बिंदु पर संयोजित होते हैं। तब संधारित्र के इस संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं। समांतर क्रम संयोजन में जुड़े सभी संधारित्र पर विभवान्तर समान होता है।
जब दो या दो से अधिक संधारित्र को इस प्रकार से संयोजित किया जाता है कि उन सभी संधारित्र के एक सिरे बिंदु पर तथा दूसरे सिरे दूसरे बिंदु पर संयोजित होते हैं। तब संधारित्र के इस संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं। समांतर क्रम संयोजन में जुड़े सभी संधारित्र पर विभवान्तर समान होता है।
See lessसमविभव पृष्ठ से क्या तात्पर्य है?
किसी बिंदु आवेश के चारों ओर खींचा गया वह काल्पनिक पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान होता है तब इस प्रकार के पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते हैं।
किसी बिंदु आवेश के चारों ओर खींचा गया वह काल्पनिक पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विभव का मान समान होता है तब इस प्रकार के पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते हैं।
See lessवान डी ग्राफ जनित्र में उत्पन्न विद्युत क्षेत्र का मान कितना होता है?
वान डी ग्राफ जनित्र का उपयोग अति उच्च विभव प्राप्त करने के लिए होता है। इसकी सहायता से 106 की कोटि का विभव उत्पन्न किया जा सकता है। अतः वान डी ग्राफ जनित्र में उत्पन्न विद्युत क्षेत्र का मान 3 × 106 होता है।
वान डी ग्राफ जनित्र का उपयोग अति उच्च विभव प्राप्त करने के लिए होता है। इसकी सहायता से 106 की कोटि का विभव उत्पन्न किया जा सकता है। अतः वान डी ग्राफ जनित्र में उत्पन्न विद्युत क्षेत्र का मान 3 × 106 होता है।
See lessआण्विक ठोस अवस्था क्या है इसके प्रकार बताइए?
आण्विक ठोस के अणु परस्पर दुर्बल वाण्डरवाल्स बल द्वारा जुड़े होते हैं। इनके गलनांक एवं क्वथनांक कम होते हैं। यह विद्युत के कुचालक होते हैं। आणविक ठोस को निम्न प्रकार के होते हैं। 1. अध्रुवी आण्विक ठोस 2. ध्रुवीय आण्विक ठोस 3. हाइड्रोजन आबंधित आण्विक ठोस
आण्विक ठोस के अणु परस्पर दुर्बल वाण्डरवाल्स बल द्वारा जुड़े होते हैं। इनके गलनांक एवं क्वथनांक कम होते हैं। यह विद्युत के कुचालक होते हैं। आणविक ठोस को निम्न प्रकार के होते हैं।
See less1. अध्रुवी आण्विक ठोस
2. ध्रुवीय आण्विक ठोस
3. हाइड्रोजन आबंधित आण्विक ठोस
ध्रुवीय आण्विक ठोस का उदाहरण क्या है?
इस प्रकार के आण्विक ठोस के अणु ध्रुवीय प्रकृति के होते हैं। यह ठोस मुलायम और विद्युत के अचालक होते हैं। यह कमरे के ताप पर द्रव या गैसीय अवस्था में होते हैं। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) आदि ध्रुवीय आण्विक ठोस के उदाहरण हैं।
इस प्रकार के आण्विक ठोस के अणु ध्रुवीय प्रकृति के होते हैं। यह ठोस मुलायम और विद्युत के अचालक होते हैं। यह कमरे के ताप पर द्रव या गैसीय अवस्था में होते हैं। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) आदि ध्रुवीय आण्विक ठोस के उदाहरण हैं।
See lessक्रिस्टल जालक किसे कहते हैं परिभाषा दीजिए?
क्रिस्टलीय ठोस के अवयवी कणों (परमाणु, अणु या आयन) की त्रिविम में एक ज्यामितीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक या त्रिविम जालक कहते हैं।
क्रिस्टलीय ठोस के अवयवी कणों (परमाणु, अणु या आयन) की त्रिविम में एक ज्यामितीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक या त्रिविम जालक कहते हैं।
See lessएकक या इकाई कोष्ठिका से आप क्या समझते हैं?
क्रिस्टल जालक का वह लघुत्तम भाग, जो विभिन्न दिशाओं में पुनरावृत्त होकर विशाल क्रिस्टल का निर्माण करती है एकक या इकाई कोष्ठिका कहलाती है।
क्रिस्टल जालक का वह लघुत्तम भाग, जो विभिन्न दिशाओं में पुनरावृत्त होकर विशाल क्रिस्टल का निर्माण करती है एकक या इकाई कोष्ठिका कहलाती है।
See lessएकक कोष्ठिका के प्रकार बताइए?
एकक कोष्ठिका को दो भागों में बांटा जा सकता है। 1. आद्य एकक कोष्ठिका 2. केंद्रित एकक कोष्ठिका
एकक कोष्ठिका को दो भागों में बांटा जा सकता है।
See less1. आद्य एकक कोष्ठिका
2. केंद्रित एकक कोष्ठिका
काय केंद्रित कोष्ठिका किसे कहते हैं?
वह एकक कोष्ठिका जिसमें एक अवयवी कण कोनों पर उपस्थित कणों के अतिरिक्त कोष्ठिका के केंद्र में भी उपस्थित होता है। काय केंद्रित कोष्ठिका कहलाती है।
वह एकक कोष्ठिका जिसमें एक अवयवी कण कोनों पर उपस्थित कणों के अतिरिक्त कोष्ठिका के केंद्र में भी उपस्थित होता है। काय केंद्रित कोष्ठिका कहलाती है।
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