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अंतराकाशी दोष किसे कहते हैं परिभाषा और उदाहरण बताइए?
जब कुछ अवयवी कण (परमाणु, अणु) अंतराकाशी स्थल पर पहुंच जाते हैं तब उत्पन्न दोष को अंतराकाशी दोष कहते हैं। अंतराकाशी दोष पदार्थ के घनत्व को बढ़ा देता है। यह दोष अनआयनिक ठोसों में दिखाई पड़ते हैं।
जब कुछ अवयवी कण (परमाणु, अणु) अंतराकाशी स्थल पर पहुंच जाते हैं तब उत्पन्न दोष को अंतराकाशी दोष कहते हैं। अंतराकाशी दोष पदार्थ के घनत्व को बढ़ा देता है। यह दोष अनआयनिक ठोसों में दिखाई पड़ते हैं।
See lessफ्रेंकल दोष की परिभाषा और उदाहरण क्या है?
यह दोष उस समय उत्पन्न होता है जब आयन अपनी जालक स्थिति को त्यागकर अंतराकाशी स्थान को ग्रहण कर लेते हैं। तब उत्पन्न दोष को फ्रेंकल दोष कहते हैं। फ्रेंकल दोष का क्रिस्टल के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह दोष उन आयनिक पदार्थों द्वारा दिखाया जाता है जिनमें आयनों के आकार में अधिक अंतर होता है। फ्रेRead more
यह दोष उस समय उत्पन्न होता है जब आयन अपनी जालक स्थिति को त्यागकर अंतराकाशी स्थान को ग्रहण कर लेते हैं। तब उत्पन्न दोष को फ्रेंकल दोष कहते हैं। फ्रेंकल दोष का क्रिस्टल के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह दोष उन आयनिक पदार्थों द्वारा दिखाया जाता है जिनमें आयनों के आकार में अधिक अंतर होता है।
See lessफ्रेंकल दोष के उदाहरण – ZnS, AgI, AgCl तथा AgBr आदि।
स्टॉइकियोमीट्री दोष किसे कहते हैं उदाहरण दीजिए?
स्टॉइकियोमीट्री यौगिक ऐसे पदार्थों को कहते हैं जिनमें धनायनों और ऋणायनों का अनुपात पूर्णतः उनके मूलानुपाती सूत्र के अनुसार ही होता है। स्टॉइकियोमीट्री दोष के कारण क्रिस्टल में धनायनों और ऋणायनों का अनुपात परिवर्तित नहीं होता है। स्टॉइकियोमीट्री दोष निम्न प्रकार के होते हैं।
स्टॉइकियोमीट्री यौगिक ऐसे पदार्थों को कहते हैं जिनमें धनायनों और ऋणायनों का अनुपात पूर्णतः उनके मूलानुपाती सूत्र के अनुसार ही होता है। स्टॉइकियोमीट्री दोष के कारण क्रिस्टल में धनायनों और ऋणायनों का अनुपात परिवर्तित नहीं होता है। स्टॉइकियोमीट्री दोष निम्न प्रकार के होते हैं।
See lessशॉट्की दोष किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए?
यह दोष साधारणतया आयनिक ठोसों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। जब क्रिस्टल के जालक बिंदुओं में से कुछ बिंदु असमावेशित शेष रहते हैं तो इस प्रकार के दोष को शॉट्की दोष कहते हैं। शॉट्की दोष में सदैव धनायन तथा ऋणायन समान संख्या में अनुपस्थित रहते हैं। शॉट्की दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है। शॉट्Read more
यह दोष साधारणतया आयनिक ठोसों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। जब क्रिस्टल के जालक बिंदुओं में से कुछ बिंदु असमावेशित शेष रहते हैं तो इस प्रकार के दोष को शॉट्की दोष कहते हैं। शॉट्की दोष में सदैव धनायन तथा ऋणायन समान संख्या में अनुपस्थित रहते हैं। शॉट्की दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।
See lessशॉट्की दोष के उदाहरण – NacCl, KCl, CsCl तथा AgBr आदि।
नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोषों को चित्रों की सहायता से समझाइए?
नॉन-स्टॉइकियोमीट्री यौगिक ऐसे पदार्थों को कहते हैं जिनमें धनायनों और ऋणायनों का अनुपात उनके मूलानुपाती सूत्र से भिन्नता प्रदर्शित करता है। नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोष के कारण क्रिस्टल में धनायनों और ऋणायनों का अनुपात परिवर्तित हो जाता है।
नॉन-स्टॉइकियोमीट्री यौगिक ऐसे पदार्थों को कहते हैं जिनमें धनायनों और ऋणायनों का अनुपात उनके मूलानुपाती सूत्र से भिन्नता प्रदर्शित करता है। नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोष के कारण क्रिस्टल में धनायनों और ऋणायनों का अनुपात परिवर्तित हो जाता है।
See lessशॉट्की और फ्रेंकल दोष में क्या अंतर है?
शॉट्की दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है जबकि फ्रेंकल दोष का क्रिस्टल के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। AgBr फ्रेंकल तथा शॉट्की दोनों ही दोष को दिखाता है।
शॉट्की दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है जबकि फ्रेंकल दोष का क्रिस्टल के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
See lessAgBr फ्रेंकल तथा शॉट्की दोनों ही दोष को दिखाता है।
अनुचुंबकीय पदार्थ किसे कहते हैं उदाहरण दीजिए?
वे पदार्थ जिनमें स्थायी चुंबकीय द्विध्रुव पाया जाता है और चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होते हैं अनुचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। यह चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में अपना चुंबकत्व को देते हैं। इन पदार्थों में एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति होती है। अनुचुंबकीय पदार्थ चुंबकीय क्षेत्र की ओRead more
वे पदार्थ जिनमें स्थायी चुंबकीय द्विध्रुव पाया जाता है और चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होते हैं अनुचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। यह चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में अपना चुंबकत्व को देते हैं। इन पदार्थों में एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति होती है। अनुचुंबकीय पदार्थ चुंबकीय क्षेत्र की ओर दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं।
See lessअनुचुंबकत्व के उदाहरण – O2 , Cu2+ , Fe3+ आदि।
प्रतिचुंबकीय पदार्थ क्या हैं उदाहरण लिखिए?
वे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र से दुर्बल रूप से प्रतिकर्षित होते हैं प्रतिचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। प्रतिचुंबकीय पदार्थों में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं। प्रतिचुंबकीय के उदाहरण - H2O , NaCl , C6H6 आदि।
वे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र से दुर्बल रूप से प्रतिकर्षित होते हैं प्रतिचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। प्रतिचुंबकीय पदार्थों में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं।
See lessप्रतिचुंबकीय के उदाहरण – H2O , NaCl , C6H6 आदि।
लौहचुंबकीय पदार्थ किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए?
वे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र की ओर प्रबल रूप से आकर्षित होते हैं। तथा चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी स्थायी चुंबकत्व प्रदर्शित करते हैं। लौहचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है। लौहचुंबकीय के उदाहरण - लोहा Fe, कोबाल्ट Co, निकैल Ni, CrO2 आदि।
वे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र की ओर प्रबल रूप से आकर्षित होते हैं। तथा चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी स्थायी चुंबकत्व प्रदर्शित करते हैं। लौहचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है।
See lessलौहचुंबकीय के उदाहरण – लोहा Fe, कोबाल्ट Co, निकैल Ni, CrO2 आदि।
प्रतिलौहचुंबकीय पदार्थ क्या है उदाहरण बताइए?
वे पदार्थ जिनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन तो उपस्थित होते हैं परंतु उनका शुद्ध चुंबकीय आघूर्ण शून्य होता है प्रतिलौहचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। प्रतिलौहचुंबकीय के उदाहरण - MnO
वे पदार्थ जिनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन तो उपस्थित होते हैं परंतु उनका शुद्ध चुंबकीय आघूर्ण शून्य होता है प्रतिलौहचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं।
See lessप्रतिलौहचुंबकीय के उदाहरण – MnO
फेरीचुंबकीय पदार्थ क्या होते हैं उदाहरण बताइए?
वे पदार्थ जिनमें काफी अधिक संख्या में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं परंतु उनका चुंबकीय आघूर्ण का मान काफी कम होता है। फेरीचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। फेरीचुंबकीय के उदाहरण - मैग्नेटाइट Fe3O4
वे पदार्थ जिनमें काफी अधिक संख्या में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं परंतु उनका चुंबकीय आघूर्ण का मान काफी कम होता है। फेरीचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं।
See lessफेरीचुंबकीय के उदाहरण – मैग्नेटाइट Fe3O4
बिंदु दोष कितने प्रकार के होते हैं?
बिंदु दोष दो प्रकार के होते हैं। 1. स्टॉइकियोमीट्री दोष 2. नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोष Note - कक्षा 12 NCERT रसायन विज्ञान की बुक में बिंदु दोष को तीन प्रकार में बांटा गया है। 1. स्टॉइकियोमीट्री दोष 2. अशुद्धता दोष 3. नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोष
बिंदु दोष दो प्रकार के होते हैं।
See less1. स्टॉइकियोमीट्री दोष
2. नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोष
Note – कक्षा 12 NCERT रसायन विज्ञान की बुक में बिंदु दोष को तीन प्रकार में बांटा गया है।
1. स्टॉइकियोमीट्री दोष
2. अशुद्धता दोष
3. नॉन-स्टॉइकियोमीट्री दोष
धातु आधिक्य दोष क्या है उदाहरण दीजिए?
इस प्रकार के दोष उस समय उत्पन्न होते हैं जब एक ऋणायन अपनी जालक स्थिति से अनुपस्थित होकर एक छिद्र का निर्माण करता है। और छिद्र में एक इलेक्ट्रॉन समावेश हो जाता है। ताकि क्रिस्टल की विद्युत उदासीनता बनी रहे, तब इस प्रकार के दोष को धातु आधिक्य के दोष कहते हैं। क्षारकीय हैलाइड जैसे - NaCl तथा KCl धातु आRead more
इस प्रकार के दोष उस समय उत्पन्न होते हैं जब एक ऋणायन अपनी जालक स्थिति से अनुपस्थित होकर एक छिद्र का निर्माण करता है। और छिद्र में एक इलेक्ट्रॉन समावेश हो जाता है। ताकि क्रिस्टल की विद्युत उदासीनता बनी रहे, तब इस प्रकार के दोष को धातु आधिक्य के दोष कहते हैं।
See lessक्षारकीय हैलाइड जैसे – NaCl तथा KCl धातु आधिक्य दोष को दर्शाते हैं।
अष्टफलकीय रिक्ति किसे कहते हैं इसकी परिभाषा दीजिए?
छः गोलों के मध्य स्थित रिक्ति को अष्टफलकीय रिक्ति कहते हैं। एक संवृत संकुलित संरचना में अष्टफलकीय रिक्ति की संख्या घटक कणों की संख्या के बराबर होती है। क्योंकि प्रत्येक रिक्ति छः कणों की बनी होती है और प्रत्येक कण के चारों ओर छः रिक्तियां होती हैं। एक अष्टफलकीय रिक्ति की त्रिज्या, घटक कण का त्रिज्याRead more
छः गोलों के मध्य स्थित रिक्ति को अष्टफलकीय रिक्ति कहते हैं। एक संवृत संकुलित संरचना में अष्टफलकीय रिक्ति की संख्या घटक कणों की संख्या के बराबर होती है। क्योंकि प्रत्येक रिक्ति छः कणों की बनी होती है और प्रत्येक कण के चारों ओर छः रिक्तियां होती हैं।
एक अष्टफलकीय रिक्ति की त्रिज्या, घटक कण का त्रिज्या का 0.414 गुना होती है। अर्थात्
r = 0.225R
See lessबिंदु दोष से आप क्या समझते हैं परिभाषा दीजिए?
क्रिस्टल में किसी परमाणु या परमाणु समूह के निकट कणों में सामान्य आवर्ती व्यवस्था से अनियमितताएं अथवा विचलित होने के परिणामस्वरूप उत्पन्न दोष को बिंदु दोष कहते हैं। बिंदु दोष मुख्य रूप से परमाणुओं के लुप्त होने के कारण, परमाणुओं के अव्यवस्थित होने के कारण उत्पन्न होते हैं।
क्रिस्टल में किसी परमाणु या परमाणु समूह के निकट कणों में सामान्य आवर्ती व्यवस्था से अनियमितताएं अथवा विचलित होने के परिणामस्वरूप उत्पन्न दोष को बिंदु दोष कहते
हैं।बिंदु दोष मुख्य रूप से परमाणुओं के लुप्त होने के कारण, परमाणुओं के अव्यवस्थित होने के कारण उत्पन्न होते हैं।
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